क्षेत्राजीवः कर्षकश्च कृषकश्च कृषीवलः । क्षेत्रं व्रैहेयशालेयं व्रीहिशाल्युद्भवोचितम् ॥ ६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | क्षेत्राजीव | क्षेत्राजीवः | पुंलिङ्गः | क्षेत्रमाजीवोऽस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
2 | कर्षक | कर्षकः | पुंलिङ्गः | कर्षति । | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |
3 | कृषक | कृषकः | पुंलिङ्गः | कर्षति । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | कृषीवल | कृषीवलः | पुंलिङ्गः | कर्षणम् । | वलच् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | व्रैहेय | व्रैहेयः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | व्रीहीणाम् ॥ | ढक् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | शालेय | शालेयः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | शालीनाम् ॥ | ढक् | तद्धितः | अकारान्तः |