उत्तमर्णाधमर्णौ द्वौ प्रयोक्तृग्राहकौ क्रमात् । कुसीदिको वार्धुषिको वृद्ध्याजीवश्च वार्धुषिः ॥ ५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | उत्तमर्ण | उत्तमर्णः | पुंलिङ्गः | उत्तममृणमस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
2 | अधमर्ण | अधमर्णः | पुंलिङ्गः | अधममृणमस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
3 | कुसीदिक | कुसीदिकः | पुंलिङ्गः | कुसीदार्थं प्रयच्छति । | ष्ठन् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | वार्धुषिक | वार्धुषिकः | पुंलिङ्गः | वृद्धिं गर्ह्यां प्रयच्छति । | ष्ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | वृद्ध्याजीव | वृद्ध्याजीवः | पुंलिङ्गः | वृद्धिराजीवो जीविकास्व ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
6 | वार्धुषि | वार्धुषिः | पुंलिङ्गः | ठक् | तद्धितः | इकारान्तः |