सहस्रवेधि जतुकं वाल्हीकं हिङ्गु रामठम् । तत्पत्त्री कारवी पृथ्वी बाष्पिका कबरी पृथुः ॥ ४० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सहस्रवेधि | सहस्रवेधिम् | नपुंसकलिङ्गः | सहस्रं वेधितुं शीलमस्य । | णिनि | कृत् | इकारान्तः |
2 | जतुक | जतुकम् | नपुंसकलिङ्गः | कन् | कृत् | अकारान्तः | |
3 | वाल्हीक | वाल्हीकम् | नपुंसकलिङ्गः | वल्हीकेषु भवम् । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | हिङ्गु | हिङ्गुम् | नपुंसकलिङ्गः | हिनोति । | कु | उणादिः | उकारान्तः |
5 | रामठ | रामठम् | नपुंसकलिङ्गः | रामठदेशोद्भवत्वादुपचारः । | अठ | उणादिः | अकारान्तः |
6 | तत्पत्त्री | तत्पत्त्री | स्त्रीलिङ्गः | तस्य हिङ्गुतरोः पत्त्री । | तत्पुरुषः | समासः | ईकारान्तः |
6 | कारवी | कारवी | स्त्रीलिङ्गः | कारं वाति । | क | कृत् | ईकारान्तः |
7 | पृथ्वी | पृथ्वी | स्त्रीलिङ्गः | प्रथते । | कु | उणादिः | ईकारान्तः |
8 | बाष्पिका | बाष्पिका | स्त्रीलिङ्गः | बाष्पमिव । | कन् | तद्धितः | आकारान्तः |
9 | कवरी | कवरी | स्त्रीलिङ्गः | ङीष् | स्त्रीप्रत्ययः | ईकारान्तः | |
11 | पृथु | पृथुः | स्त्रीलिङ्गः | कु | उणादिः | उकारान्तः |