आपक्वं पौलिरभ्यूषो लाजाः पुम्भूम्नि चाक्षताः । पृथुक: स्याच्चिपिटकः धाना भृष्टयवे स्त्रियः ॥ ४७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आपक्व | आपक्वम् | नपुंसकलिङ्गः | ईषत्पक्वम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
2 | पौलि | पौलिः | पुंलिङ्गः | पोलति । | इञ् | तद्धितः | इकारान्तः |
3 | अभ्यूष | अभ्यूषः | पुंलिङ्गः | अभ्यूषति । | क | कृत् | अकारान्तः |
4 | लाज | लाजः | पुंलिङ्गः | लज्यन्ते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
5 | अक्षत | अक्षतः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | न क्षतं येषां ते । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | पृथुक | पृथुकः | पुंलिङ्गः | प्रथते । | कुकन् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | चिपिटक | चिपिटकः | पुंलिङ्गः | चिपिटमिव । | पिटच् | तद्धितः | अकारान्तः |
8 | धाना | धाना | स्त्रीलिङ्गः | दधति । | न | उणादिः | आकारान्तः |
9 | भृष्टयव | भृष्टयवः | स्त्रीलिङ्गः | भ्रष्टश्चासौ यवश्च ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |