पुंनपुंसकयोर्वप्रः कैदारः क्षेत्रमस्य तु । कैदारकं स्यात्कैदार्यं क्षैत्रं केदारिकं गणे ॥ ११ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | वप्र | वप्रः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | उप्यतेऽत्र । | रन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | केदार | केदारः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | के जले शिरसि वा दारोऽस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
3 | क्षेत्र | क्षेत्रम् | नपुंसकलिङ्गः | क्षीयते धान्यैरत्र । | ष्ट्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
4 | कैदारक | कैदारकम् | नपुंसकलिङ्गः | केदाराणां समूहः । | वुञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | कैदार्य | कैदार्यम् | नपुंसकलिङ्गः | केदाराणां समूहः । | यञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | क्षैत्र | क्षैत्रम् | नपुंसकलिङ्गः | क्षेत्राणां समूहः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
7 | कैदारिक | कैदारिकम् | नपुंसकलिङ्गः | ठञ् | तद्धितः | अकारान्तः |