गोदारणं च सीरोऽथ शम्या स्त्री युगकीलक: । ईषा लाङ्गलदण्ड: स्यात्सीता लाङ्गलपद्धतिः ॥ १४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | गोदारण | गोदारणम् | नपुंसकलिङ्गः | गां भूमिं दारयति । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
2 | सीर | सीरः | पुंलिङ्गः | सिनोति, सीयते, वा । | क्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
3 | शम्या | शम्या | स्त्रीलिङ्गः | शम्यतेऽनया । | यक् | उणादिः | आकारान्तः |
4 | युगकीलक | युगकीलकः | पुंलिङ्गः | युगस्य कीलः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | ईशा | ईशा | स्त्रीलिङ्गः | ईति । | क | कृत् | आकारान्तः |
6 | लाङ्गलदण्ड | लाङ्गलदण्डः | पुंलिङ्गः | लाङ्गलस्य दण्डः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
7 | सीता | सीता | स्त्रीलिङ्गः | सीयते । | क्त | कृत् | आकारान्तः |
8 | लाङ्गपद्धति | लाङ्गपद्धतिः | स्त्रीलिङ्गः | लाङ्गलस्य पद्धतिः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | इकारान्तः |