कलम्बमार्गणशराः पत्री रोप इषुर्द्वयोः । प्रक्ष्वेडनास्तु नाराचाः पक्षो वाजस्त्रिषूत्तरे ॥ ८७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कलम्ब | कलम्बः | पुंलिङ्गः | कल्यते । | अम्बच् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | मार्गण | मार्गणः | पुंलिङ्गः | मार्गयति । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |
3 | शर | शरः | पुंलिङ्गः | शृणाति । | अप् | कृत् | अकारान्तः |
4 | पत्रिन् | पत्रिन् | पुंलिङ्गः | पत्राणि पक्षाः सन्त्यस्य । | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |
5 | रोप | रोपः | पुंलिङ्गः | रोप्यते अनेन वा । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
6 | इषु | इषुः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | ईष्यतेऽनेन । | उ | उणादिः | उकारान्तः |
7 | प्रक्ष्वेडन | प्रक्ष्वेडनः | पुंलिङ्गः | प्रकर्षेण क्ष्वेदन्ते । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |
8 | नाराच | नाराचः | पुंलिङ्गः | नरानाचामन्ति । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
9 | पक्ष | पक्षः | पुंलिङ्गः | पक्षति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
10 | वाज | वाजः | पुंलिङ्गः | वजत्यनेन । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |