स्थायुकोऽधिकृतो ग्रामे गोपो ग्रामेषु भूरिषु । भौरिकः कनकाध्यक्ष: रूप्याध्यक्षस्तु नैष्किकः ॥ ७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | स्थायुक | स्थायुकः | पुंलिङ्गः | स्थातुं शीलमस्य | उकञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | गोप | गोपः | पुंलिङ्गः | गोपायति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
3 | भौरिक | भौरिकः | पुंलिङ्गः | भूरिणि सुवर्णे नियुक्तः। | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | कनकाध्यक्ष | कनकाध्यक्षः | पुंलिङ्गः | कनकस्याध्यक्षः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | रूप्याध्यक्ष | रूप्याध्यक्षः | पुंलिङ्गः | रूपस्याध्यक्षः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | नैष्किक | नैष्किकः | पुंलिङ्गः | निष्के हेम्नि नियुक्तः । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |