जय्यो यः शक्यते जेतुं जेयो जेतव्यमात्रके । जैत्रस्तु जेता यो गच्छत्यलं विद्विषतः प्रति ॥ ७४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | जय्य | जय्यः | पुंलिङ्गः | जेतुं शक्यः । | यत् | कृत् | अकारान्तः |
2 | जेय | जेयः | पुंलिङ्गः | जयिति । | यत् | कृत् | अकारान्तः |
3 | जैत्र | जैत्रः | पुंलिङ्गः | जयनशीलः । | तृन् | कृत् | अकारान्तः |
4 | जेतृ | जेतृः | पुंलिङ्गः | जयनशीलः । | तृन् | कृत् | ऋकारान्तः |