कञ्चुको वारबाणोऽस्त्री यत्तु मध्ये सकञ्चुकाः । बध्नन्ति तत्सारसनमधिकाङ्गोऽथ शीर्षकम् ॥ ६३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कञ्चुक | कञ्चुकः | पुंलिङ्गः | कञ्च्यते । | ऊक | बाहुलकात् | अकारान्तः |
2 | वारबाण | वारबाणः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | बाणं वारयति, वृणोति वा । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
3 | सारसन | सारसनम् | नपुंसकलिङ्गः | सारं सनोति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | अधिकाङ्ग | अधिकाङ्गम् | नपुंसकलिङ्गः | अधिकमङ्गात् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | शीर्षक | शीर्षकम् | नपुंसकलिङ्गः | शर्षस्य प्रतिकृतिः । | कन् | तद्धितः | अकारान्तः |