त्रिष्वामुक्तादयो वर्मभृतां कावचिकं गणे । पदातिपत्तिपदगपादातिकपदाजयः ॥ ६६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कावचिक | कावचिकम् | नपुंसकलिङ्गः | कवचिनां समूहः । | ठञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | पदाति | पदातिः | पुंलिङ्गः | पादाभ्यामतति । | इण् | उणादिः | इकारान्तः |
3 | पत्ति | पत्तिः | पुंलिङ्गः | पद्यते । | ति | बाहुलकात् | इकारान्तः |
4 | पदग | पदगः | पुंलिङ्गः | पादाभ्यां गच्छति । | ड | कृत् | अकारान्तः |
5 | पादातिक | पादातिकः | पुंलिङ्गः | पदातिरेव । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | पदाजि | पदाजिः | पुंलिङ्गः | पादाभ्यामतति । | इण् | उणादिः | इकारान्तः |