गतयोऽमूः पञ्च धारा घोणा तु प्रोथमस्त्रियाम् । कविका तु खलीनोऽस्त्री शफं क्लीबे खुरः पुमान् ॥ ४९ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | धारा | धारा | स्त्रीलिङ्गः | धार्यन्तेऽश्वा अत्र, | अङ् | कृत् | आकारान्तः |
2 | घोणा | घोणा | स्त्रीलिङ्गः | घोणते । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
3 | प्रोथ | प्रोथः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | प्रोथति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | कविका | कविका | स्त्रीलिङ्गः | कवते । | इ | उणादिः | आकारान्तः |
5 | खलिन | खलिनः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | खे मुखबिले लीनः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | शफ | शफम् | नपुंसकलिङ्गः | शं फणति । | ड | कृत् | अकारान्तः |
7 | खुर | खुरः | पुंलिङ्गः | खुरति । | क | कृत् | अकारान्तः |