निवेशः शिबिरं षण्ढे सज्जनं तूपरक्षणम् । हस्त्यश्वरथपादातं सेनाङ्गं स्याच्चतुष्टयम् ॥ ३३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | निवेश | निवेशः | पुंलिङ्गः | निविशन्तेऽत्त्र । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | शिबिर | शिबिरम् | नपुंसकलिङ्गः | शवन्त्यत्र । | किरच् | बाहुलकात् | अकारान्तः |
3 | सज्जन | सज्जनम् | नपुंसकलिङ्गः | सज्जन्ते (न्त्य) नेन । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
4 | उपरक्षण | उपरक्षणम् | नपुंसकलिङ्गः | उपरक्ष्यते अनेन । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
5 | सेनाङ्ग | सेनाङ्गम् | नपुंसकलिङ्गः | सेनाया अङ्गम् ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |