दन्ती दन्तावलो हस्ती द्विरदोऽनेकपो द्विपः । मतङ्गजो गजो नागः कुञ्जरो वारण: करी ॥ ३४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | दन्तिन् | दन्ती | पुंलिङ्गः | अतिशयितौ दन्तावस्य । | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |
2 | दन्तावल | दन्तावलः | पुंलिङ्गः | अतिशयितौ दन्तावस्य । | वलच् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | हस्तिन् | हस्ती | पुंलिङ्गः | हस्तः शुण्डास्यास्ति । | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |
4 | द्विरद | द्विरदः | पुंलिङ्गः | द्वौ रदावस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
5 | अनेकप | अनेकपः | पुंलिङ्गः | अनेकेन करेण मुखेन च पिबति । | क | कृत् | अकारान्तः |
6 | द्विप | द्विपः | पुंलिङ्गः | द्वाभ्यां पिबति । | क | कृत् | अकारान्तः |
7 | मतङ्गज | मतङ्गजः | पुंलिङ्गः | ड | कृत् | अकारान्तः | |
8 | गज | गजः | पुंलिङ्गः | गजति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
9 | नाग | नागः | पुंलिङ्गः | न अगः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
10 | कुञ्जर | कुञ्जरः | पुंलिङ्गः | अतिशयितः कुञ्जो हनुरस्य । | र | तद्धितः | अकारान्तः |
11 | वारण | वारणः | पुंलिङ्गः | वारयति शत्रुबलम् । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |
12 | करिन् | करी | पुंलिङ्गः | करोऽस्यास्ति । | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |