न्याय्यं च त्रिषु षट् सम्प्रधारणा तु समर्थनम् । अववादस्तु निर्देशो निदेश: शासनं च सः ॥ २५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | न्याय्य | न्याय्यः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | न्यायादनपेतम् । | यत् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | संप्रधारणा | संप्रधारणा | स्त्रीलिङ्गः | संप्रधारणम् | युच् | कृत् | आकारान्तः |
3 | समर्थन | समर्थनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः | |
4 | अववाद | अववादः | पुंलिङ्गः | कार्यमवलम्ब्य वदनमत्र । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
5 | निर्देश | निर्देशः | पुंलिङ्गः | निर्देशः कार्यादेशः । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
6 | निदेश | निदेशः | पुंलिङ्गः | घञ् | कृत् | अकारान्तः | |
7 | शासन | शासनम् | नपुंसकलिङ्गः | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |