सांवत्सरो ज्यौतिषिको दैवज्ञगणकावपि । स्युर्मौहूर्तिकमौहूर्तज्ञानिकार्तान्तिका अपि ॥ १४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सांवत्सर | सांवत्सरः | पुंलिङ्गः | संवत्सरं वेत्ति । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | ज्यौतिषिक | ज्यौतिषिकः | पुंलिङ्गः | ज्योतिर्नक्षत्राद्यधिकृत्य कृतो ग्रन्थः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | दैवज्ञ | दैवज्ञः | पुंलिङ्गः | दैवं प्राक्कृतं शुभाशुभं कर्म जानाति । | क | कृत् | अकारान्तः |
4 | गणक | गणकः | पुंलिङ्गः | गणयति । | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |
5 | मौहूर्तिक | मौहूर्तिकः | पुंलिङ्गः | मुहूर्तम् (अधिकृत्य कृतं ग्रन्थम्) अधीते । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | मौहूर्त | मौहूर्तः | पुंलिङ्गः | अकारान्तः | |||
7 | ज्ञानिन् | ज्ञानी | पुंलिङ्गः | ज्ञानमस्यास्ति । | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |
8 | कार्तान्तिक | कार्तान्तिकः | पुंलिङ्गः | कृतान्तं वेति । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |