उपाध्यायोऽध्यापकोऽथ स निषेकादिकद्गुरुः । मन्त्रव्याख्याकृदाचार्य आदेष्टा त्वध्वरे व्रती ॥ ७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | उपाध्याय | उपाध्यायः | पुंलिङ्गः | उपेत्याधीयतेऽस्मात् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | अध्यापक | अध्यापकः | पुंलिङ्गः | अध्यापयति । | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |
3 | गुरु | गुरुः | पुंलिङ्गः | गृणाति धर्मादि । | उ | उणादिः | उकारान्तः |
4 | मन्त्रव्याख्याकृत् | मन्त्रव्याख्याकृत् | पुंलिङ्गः | मन्त्रस्य वेदस्य व्याख्यानं करोति । | क्विप् | कृत् | तकारान्तः |
5 | आचार्य | आचार्यः | पुंलिङ्गः | आचर्यते । | ण्यत् | कृत् | अकारान्तः |
5 | व्रतिन् | व्रतिन् | पुंलिङ्गः | इनि | तद्धितः | नकारान्तः |