परिवित्तिस्तु तज्ज्यायान् विवाहोपयमौ समौ । तथा परिणयोद्वाहोपयामाः पाणिपीडनम् ॥ ५६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | परिवित्ति | परिवित्तिः | पुंलिङ्गः | परि वर्जनं विन्दति लभते । | क्तिच् | कृत् | इकारान्तः |
2 | विवाह | विवाहः | पुंलिङ्गः | विशिष्टं वहनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | उपयम | उपयमः | पुंलिङ्गः | उपयमनम् । | अप् | कृत् | अकारान्तः |
4 | परिणय | परिणयः | पुंलिङ्गः | परिणयनम् । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
5 | उद्वाह | उद्वाहः | पुंलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
6 | उपयाम | उपयामः | पुंलिङ्गः | अच् | कृत् | अकारान्तः | |
7 | पाणिपीडन | पाणिपीडनम् | नपुंसकलिङ्गः | पाणेः पीडनं ग्रहणम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |