नियमस्तु स यत्कर्मानित्यमागन्तुसाधनम् । उपवीतं यज्ञसूत्रं प्रोद्धृते दक्षिणे करे ॥ ४९ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | नियम | नियमः | पुंलिङ्गः | यत् कर्म अनित्यं न तु यावज्जीवं कर्तव्यम्, | अच् | कृत् | अकारान्तः |
2 | उपवीत | उपवीतम् | नपुंसकलिङ्गः | उपवीयते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
3 | यज्ञसूत्र | यज्ञसूत्रम् | नपुंसकलिङ्गः | यज्ञस्य सूत्रम् | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |