आश्रमोऽस्त्री द्विजात्यग्रजन्मभूदेववाडवाः । विप्रश्च ब्राह्मणोऽसौ षट्कर्मा यागादिभिर्युतः ॥ ४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | आश्रम | आश्रमः | पुंलिङ्गः | चत्वारोऽवयवा यस्य । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | द्विजाति | द्विजातिः | पुंलिङ्गः | द्वे जातौ जन्मनी यस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | इकारान्तः |
3 | अग्रजन्मन् | अग्रजन्मन् | पुंलिङ्गः | अग्र आदौ जन्मास्या ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | नकारान्तः |
4 | भूदेव | भूदेवः | पुंलिङ्गः | भुवो भुवि वा देव इव ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | वाडव | वाडवः | पुंलिङ्गः | वडवायां जातः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | विप्र | विप्रः | पुंलिङ्गः | विप्राति । | क | कृत् | अकारान्तः |
7 | ब्राह्मण | ब्राह्मणः | पुंलिङ्गः | ब्रह्मणोऽपत्यम् । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
8 | षट्कर्मन् | षट्कर्मन् | पुंलिङ्गः | षट्कर्माण्यस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | नकारान्तः |