पाठे ब्रह्माञ्जलिः पाठे विप्रुषो ब्रह्मबिन्दवः । ध्यानयोगासने ब्रह्मासनं कल्पे विधिक्रमौ ॥ ३९ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | ब्रह्माञ्जलि | ब्रह्माञ्जलिः | पुंलिङ्गः | ब्रह्मणोऽञ्जलिः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | इकारान्तः |
2 | ब्रह्मबिन्दु | ब्रह्मबिन्दुः | पुंलिङ्गः | ब्रह्मणो बिन्दवः॥ | तत्पुरुषः | समासः | उकारान्तः |
3 | ब्रह्मासन | ब्रह्मासनम् | नपुंसकलिङ्गः | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः | |
4 | कल्प | कल्पः | पुंलिङ्गः | कल्पते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
5 | विधि | विधिः | पुंलिङ्गः | वेधनम् । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
6 | क्रम | क्रमः | पुंलिङ्गः | क्रमणम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |