यो गार्हपत्यादानीय दक्षिणाग्निः प्रणीयते । तस्मिन्नानाय्योऽथाग्नायी स्वाहा च हुतभुग्प्रिया ॥ २१ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आनाय्य | आनाय्यः | पुंलिङ्गः | आनीयते | निपातनात् | अकारान्तः | |
2 | अग्नायी | अग्नायी | स्त्रीलिङ्गः | ऐ | तद्धितः | ईकारान्तः | |
3 | स्वाहा | स्वाहा | स्त्रीलिङ्गः | सुष्टु आहूयन्ते देवा अनया । | ड | कृत् | आकारान्तः |
4 | हुतभुक्प्रिया | हुतभुक्प्रिया | स्त्रीलिङ्गः | हुतभुजः प्रिया ॥ | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |