ध्रुवोपभृज्जुहूर्ना तु स्रुवो भेदा: स्रुचः स्त्रियः । उपाकृतः पशुरसौ योऽभिमन्त्र्य क्रतौ हतः ॥ २५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | ध्रुवा | ध्रुवा | स्त्रीलिङ्गः | ध्रुवति । | क | कृत् | आकारान्तः |
2 | उपभृत् | उपभृत् | स्त्रीलिङ्गः | उपबिभर्ति । | क्विप् | कृत् | तकारान्तः |
3 | जुहू | जुहू | स्त्रीलिङ्गः | जुहोति । | क्विप् | कृत् | ऊकारान्तः |
4 | स्रुव | स्रुवः | पुंलिङ्गः, स्त्रीलिङ्गः | स्रवति । | क | उणादिः | अकारान्तः |
5 | उपाकृत | उपाकृतः | पुंलिङ्गः | उपाक्रियते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |