सतीर्थ्यास्त्वेकगुरवश्चितवानग्निमग्निचित् । पारम्पर्योपदेशे स्यादैतिह्यमितिहाव्ययम् ॥ १२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सतीर्थ्य | सतीर्थ्यः | पुंलिङ्गः | समाने तीर्थे वसन्ति । | यत् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | एकगुरु | एकगुरुः | पुंलिङ्गः | एको गुरुर्येषां ते ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | उकारान्तः |
3 | अग्निचित् | अग्निचित् | पुंलिङ्गः | अग्निमचैषीत् । | क्विप् | कृत् | तकारान्तः |
4 | ऐतिह्य | ऐतिह्यम् | नपुंसकलिङ्गः | ण्य | तद्धितः | अकारान्तः | |
5 | इतिह | इतिहः | अव्ययम् | द्वन्द्वः | समासः | अकारान्तः |