सृणिका स्यन्दिनी लाला दूषिका नेत्रयोर्मलम् । मूत्रं प्रस्राव उच्चारावस्करौ शमलं शकृत् ॥ ६७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सृणिका | सृणिका | स्त्रीलिङ्गः | स्त्रिति । | नि | उणादिः | आकारान्तः |
2 | स्यन्दिनी | स्यन्दिनी | स्त्रीलिङ्गः | अवश्यं स्यन्दते । | णिनि | कृत् | ईकारान्तः |
3 | लाला | लाला | स्त्रीलिङ्गः | लालयते । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
4 | दूषिका | दूषिका | स्त्रीलिङ्गः | दूषयति । | ण्वुल् | कृत् | आकारान्तः |
5 | मूत्र | मूत्रम् | नपुंसकलिङ्गः | मूत्र्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
6 | प्रस्राव | प्रस्रावः | पुंलिङ्गः | प्रस्रूयते । | घञ् | कॄत् | अकारान्तः |
7 | उच्चार | उच्चारः | पुंलिङ्गः | उच्चार्यते त्यज्यते । | घञ् | कॄत् | अकारान्तः |
8 | अवस्कर | अवस्करः | पुंलिङ्गः | अवकीर्यते अधः क्षिप्यते । | अप् | कृत् | अकारान्तः |
9 | शमल | शमलम् | नपुंसकलिङ्गः | शाम्यति, शम्यते वा । | कल | उणादिः | अकारान्तः |
10 | शकृत् | शकृत्म् | नपुंसकलिङ्गः | शक्नोति, शक्यते वा निःसर्तुं निःसारयितुं वा । | ऋतिन् | उणादिः | तकारान्तः |