आनाहस्तु विबन्ध: स्याद् ग्रहणी रुक् प्रवाहिका । प्रच्छर्दिका वमिश्च स्त्री पुमांस्तु वमथुः समाः ॥ ५५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आनाह | आनाहः | पुंलिङ्गः | आनहनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | विबन्ध | विबन्धः | पुंलिङ्गः | विबन्धनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | ग्रहणीरुज् | ग्रहणीरुज् | स्त्रीलिङ्गः | गृह्णाति जठराग्निम् । | ल्युट् | कृत् | जकारान्तः |
4 | प्रवाहिका | प्रवाहिका | स्त्रीलिङ्गः | प्रवहति । | ण्वुल् | कृत् | आकारान्तः |
5 | प्रच्छर्दिका | प्रच्छर्दिका | स्त्रीलिङ्गः | प्रच्छर्दनम् । | ण्वुल् | कृत् | आकारान्तः |
6 | वमि | वमिः | स्त्रीलिङ्गः | वमनम् । | इक् | कृत् | इकारान्तः |
7 | वमथु | वमथुः | पुंलिङ्गः | अथुच् | कृत् | उकारान्तः |