काश्मीरजन्माग्निशिखं वरं वाह्लीकपीतनम् । रक्तसंकोचपिशुनं धीरलोहितचन्दनम् ॥ १२४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | काश्मीरजन्मन् | काश्मीरजन्मन्म् | नपुंसकलिङ्गः | कशति, कश्यते वा । | ईरन् | उणादिः | नकारान्तः |
2 | अग्निशिख | अग्निशिखम् | नपुंसकलिङ्गः | अग्निरिव शिखा केसरोऽस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
3 | वर | वरम् | नपुंसकलिङ्गः | व्रियते । | अप् | कृत् | अकारान्तः |
4 | बाल्हीक | बाल्हीकम् | नपुंसकलिङ्गः | वह्लते । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | पीतन | पीतनम् | नपुंसकलिङ्गः | पीतं करोति । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |
6 | रक्त | रक्तम् | नपुंसकलिङ्गः | रज्यते स्म । | क्त | कृत् | अकारान्तः |
7 | संकोच | संकोचम् | नपुंसकलिङ्गः | संकोचति, संकुच्यते, वा । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
8 | पिशुन | पिशुनम् | नपुंसकलिङ्गः | पिंशति । | उनन् | उणादिः | अकारान्तः |
9 | धीर | धीरम् | नपुंसकलिङ्गः | दधाति । | क्रन् | उणादिः | अकारान्तः |
10 | लोहितचन्दन | लोहितचन्दनम् | नपुंसकलिङ्गः | लोहितं च तच्चन्दनं च । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |