हंसकः पादकटकः किङ्किणी क्षुद्रघण्टिका । त्वक्फलकृमिरोमाणि वस्त्रयोनिर्दश त्रिषु ॥ ११० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | हंसक | हंसकः | पुंलिङ्गः | हंस इव कायति । | ड | कृत् | अकारान्तः |
2 | पादकटक | पादकटकः | पुंलिङ्गः | पादस्य कटको वलयः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | किंकिणी | किंकिणी | स्त्रीलिङ्गः | किञ्चित् किणं करोति । | अच् | कृत् | ईकारान्तः |
4 | क्षुद्रघण्टिका | क्षुद्रघण्टिका | स्त्रीलिङ्गः | घण्टेव । | कन् | तद्धितः | आकारान्तः |
5 | वस्त्रयोनि | वस्त्रयोनिः | स्त्रीलिङ्गः | वस्त्रस्य योनिः कारणम् ॥ | तत्पुरुषः | समासः | इकारान्तः |