कपिप्लवङ्गप्लवगशाखामृगवलीमुखाः । मर्कटो वानरः कीशो वनौका अथ भल्लुके ॥ ३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कपि | कपिः | पुंलिङ्गः | कम्पते | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
2 | प्लवङ्ग | प्लवङ्गः | पुंलिङ्गः | प्लवेन गच्छति । | अप् | कृत् | अकारान्तः |
3 | प्लवग | प्लवगः | पुंलिङ्गः | प्लवेन गच्छति । | ड | कृत् | अकारान्तः |
4 | शाखामृग | शाखामृगः | पुंलिङ्गः | शाखाचारी मृगः पशुः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | वलीमुख | वलीमुखः | पुंलिङ्गः | वलीयुक्तं मुखमस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
6 | मर्कट | मर्कटः | पुंलिङ्गः | मर्कति । | अटन् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | वानर | वानरः | पुंलिङ्गः | वने भवं फलादि । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
8 | कीश | कीशः | पुंलिङ्गः | ‘की' इति शब्दमीष्टे । | क | कृत् | अकारान्तः |
9 | वनौकस् | वनौकाः | पुंलिङ्गः | वनमोकोऽस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | सकारान्तः |
10 | भल्लुक | भल्लुकः | पुंलिङ्गः | भल्लते । | उ | बाहुलकात् | अकारान्तः |