शरारिराटिराडिश्च बलाका विसकण्ठिका । हंसस्य योषिद्वरटा सारसस्य तु लक्ष्मणा ॥ २५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | शरारि | शरारिः | स्त्रीलिङ्गः | शरं नीरमृच्छति । | इ | उणादिः | इकारान्तः |
2 | आटि | आटिः | स्त्रीलिङ्गः | आ अटति । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
3 | आडि | आडिः | स्त्रीलिङ्गः | आ अडति । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
4 | वलाका | वलाका | स्त्रीलिङ्गः | वलते । | आक | उणादिः | आकारान्तः |
5 | विसकण्ठिका | विसकण्ठिका | स्त्रीलिङ्गः | विसवत् कण्ठोऽस्याः ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | आकारान्तः |
6 | वरटा | वरटा | स्त्रीलिङ्गः | वृणीते सेवते सरः । | अटन् | उणादिः | आकारान्तः |
7 | लक्ष्मणा | लक्ष्मणा | स्त्रीलिङ्गः | लक्ष्मीरस्त्यस्याः । | न | तद्धितः | आकारान्तः |