वृश्चिक: शूककीटः स्यादलिद्रुणौ तु वृश्चिके । पारावत: कलरवः कपोतोऽथ शशादनः ॥ १४ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | वृश्चिक | वृश्चिकः | पुंलिङ्गः | वृश्चति । | किकन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | शूककीट | शूककीटः | पुंलिङ्गः | शुकयुक्तः कीटः। | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | अलि | अलिः | पुंलिङ्गः | अलतिदंशे समर्थो भवति । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
4 | द्रुण | द्रुणः | पुंलिङ्गः | द्रुणति । | क | कृत् | अकारान्तः |
5 | वृश्चिक | वृश्चिकः | पुंलिङ्गः | वृश्चति । | किकन् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | पारावत | पारावतः | पुंलिङ्गः | परं जीवमवति । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
7 | कलरव | कलरवः | पुंलिङ्गः | कलो रवोऽस्य ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
8 | कपोत | कपोतः | पुंलिङ्गः | कस्य वायोः पोत इव | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
9 | शशादन | शशादनः | पुंलिङ्गः | शशमत्ति । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |