प्लवगोपुरगोनर्दकैवर्तीमुस्तकानि च । ग्रन्थिपर्णं शुकं बर्हिपुष्पं स्थौणेयकुक्कुरे ॥ १३२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | प्लव | प्लवम् | नपुंसकलिङ्गः | प्लवते । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
2 | गोपुर | गोपुरम् | नपुंसकलिङ्गः | गां जलं पिपर्ति। | क | कृत् | अकारान्तः |
3 | गोनर्ध | गोनर्धम् | नपुंसकलिङ्गः | गां जलं नर्दयति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
4 | कैवर्तीमुस्तक | कैवर्तीमुस्तकम् | नपुंसकलिङ्गः | कैवर्तानां जातिः कैवर्ती । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | ग्रन्थिपर्ण | ग्रन्थिपर्णम् | नपुंसकलिङ्गः | ग्रन्थौ पर्णान्यस्य । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |
6 | शुक | शुकम् | नपुंसकलिङ्गः | शोचति । | कक् | उणादिः | अकारान्तः |
7 | बर्हिपुष्प | बर्हिपुष्पम् | नपुंसकलिङ्गः | बर्हं पत्त्रं प्रशस्तमस्य । | इनि | तद्धितः | अकारान्तः |
8 | स्थौणेय | स्थौणेयम् | नपुंसकलिङ्गः | स्थूणाया अपत्यम् । | ढक् | तद्धितः | अकारान्तः |
9 | कुक्कुर | कुक्कुरम् | नपुंसकलिङ्गः | कुक्कुरोऽस्यास्ति । | अच् | तद्धितः | अकारान्तः |