गाङ्गेरुकी नागबला झषा ह्रस्वगवेधुका । धामार्गवो घोषक: स्यान्महाजाली स पीतकः ॥ ११७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | गाङ्गेरुकी | गाङ्गेरुकी | स्त्रीलिङ्गः | गाङ्गं जलमीरयति । | तत्पुरुषः | समासः | ईकारान्तः |
2 | नागबला | नागबला | स्त्रीलिङ्गः | नागानां हस्तिनां बला ॥ | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |
3 | झषा | झषा | स्त्रीलिङ्गः | झषति वातम् । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
4 | ह्रस्वगवेधुका | ह्रस्वगवेधुका | स्त्रीलिङ्गः | गवि भूमावेधते । | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |
5 | धामार्गव | धामार्गवः | पुंलिङ्गः | धाम ऋच्छति । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
6 | घोषक | घोषकः | पुंलिङ्गः | घोषति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
7 | महाजाली | महाजाली | स्त्रीलिङ्गः | महती चासौ जाली च ॥ | तत्पुरुषः | समासः | ईकारान्तः |