विदारी क्षीरशुक्लेक्षुगन्धा क्रोष्ट्री च या सिता । अन्या क्षीरविदारी स्यान्महाश्वेतर्क्षगन्धिका ॥ ११० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | विदारी | विदारी | स्त्रीलिङ्गः | विदारयति । | अच् | कृत् | ईकारान्तः |
2 | क्षीरशुक्ला | क्षीरशुक्ला | स्त्रीलिङ्गः | क्षीरमिव शुक्ला ॥ | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |
3 | इक्षुगन्धा | इक्षुगन्धा | स्त्रीलिङ्गः | इक्षुर्गन्धोऽस्याः । | बहुव्रीहिः | समासः | आकारान्तः |
4 | क्रोष्ट्री | क्रोष्ट्री | स्त्रीलिङ्गः | क्रोशति । | तुन् | उणादिः | ईकारान्तः |
5 | क्षीरविदारी | क्षीरविदारी | स्त्रीलिङ्गः | क्षीरवती विदारी ॥ | तत्पुरुषः | समासः | ईकारान्तः |
6 | महाश्वेता | महाश्वेता | स्त्रीलिङ्गः | महती चासो श्वेता च ॥ | तत्पुरुषः | समासः | आकारान्तः |
7 | ऋक्षगन्धिक | ऋक्षगन्धिका | स्त्रीलिङ्गः | ऋक्षान् गन्धयति । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |