द्विहीनं प्रसवे सर्वं हरीतक्यादयः स्त्रियाम् । आश्वत्थवैणवप्लाक्षनैयग्रोधैङ्गुदं फले ॥ १८ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | हरीतकी | हरीतकी | स्त्रीलिङ्गः | ईकारान्तः | |||
2 | आश्वथ्त | आश्वत्थम् | नपुंसकलिङ्गः | अश्वत्थस्य फलम् । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
3 | वैणव | वैणवम् | नपुंसकलिङ्गः | वेणोः । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | प्लाक्ष | प्लाक्षम् | नपुंसकलिङ्गः | अण् | तद्धितः | अकारान्तः | |
5 | नैयग्रोध | नैयग्रोधम् | नपुंसकलिङ्गः | अण् | तद्धितः | अकारान्तः | |
6 | ऐङ्गुद | ऐङ्गुदम् | नपुंसकलिङ्गः | इङ्गुद्या इदम् ॥ | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |