पारावताघ्रि: कटभी पण्या ज्योतिष्मती लता । वार्षिकं त्रायमाणा स्यात्त्रायन्ती बलभद्रिका ॥ १५० ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | पारावताङ्घ्रि | पारावताङ्घ्रिः | स्त्रीलिङ्गः | पारेति पारावत इवाङ्घ्रिरस्याः ॥ | बहुव्रीहिः | समासः | इकारान्तः |
2 | कटभी | कटभी | स्त्रीलिङ्गः | कटवद्भाति । | ड | कृत् | ईकारान्तः |
3 | पण्या | पण्या | स्त्रीलिङ्गः | पण्यते । | य | कृत् | आकारान्तः |
4 | ज्योतिष्मती | ज्योतिष्मती | स्त्रीलिङ्गः | ज्योतिरस्त्यस्याः । | मतुप् | तद्धितः | ईकारान्तः |
5 | लता | लता | स्त्रीलिङ्गः | लतति । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
6 | वार्षिक | वार्षिकम् | नपुंसकलिङ्गः | वर्षासु ‘भवं जातं वा । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
7 | त्रायमाणा | त्रायमाणा | स्त्रीलिङ्गः | त्रायते । | शानच् | कृत् | आकारान्तः |
8 | त्रायन्ती | त्रायन्ती | स्त्रीलिङ्गः | त्राणम् | क्विप् | कृत् | ईकारान्तः |
9 | बलभद्रिका | बलभद्रिका | स्त्रीलिङ्गः | बलेन भद्रा । | कन् | तद्धितः | आकारान्तः |