कोष्णं कवोष्णं मन्दोष्णं कदुष्णं त्रिषु तद्वति । तिग्मं तीक्ष्णं खरं तद्वत् मृगतृष्णा मरीचिका ॥ ३५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कोष्ण | कोष्णम् | नपुंसकलिङ्गः | ईषदुष्णं कोष्णम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
2 | कवोष्ण | कवोष्णम् | नपुंसकलिङ्गः | ईषदुष्णं कवोष्णम् । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
3 | मन्दोष्ण | मन्दोष्णम् | नपुंसकलिङ्गः | मन्दं च तदुष्णं च । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
4 | कदुष्ण | कदुष्णम् | नपुंसकलिङ्गः | कदादेशश्च । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
5 | तिग्म | तिग्मम् | नपुंसकलिङ्गः | तेजयति । | मक् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | तीक्ष्ण | तीक्ष्णम् | नपुंसकलिङ्गः | तीक्ष्णं सामुद्रलवणे विषलोहाजिमुष्कके । | क्स्न | उणादिः | अकारान्तः |
7 | खर | खरम् | नपुंसकलिङ्गः | खमिन्द्रियं रात्यभिभवति । | क | कृत् | अकारान्तः |
8 | मृगतृष्णा | मृगतृष्णा | स्त्रीलिङ्गः | मृगाणां तृष्णास्त्यस्याम् । | अच् | तद्धितः | आकारान्तः |
9 | मरीचिका | मरीचिका | स्त्रीलिङ्गः | मरीचिरिव । | कन् | तद्धितः | आकारान्तः |