आहावस्तु निपानं स्यादुपकूपजलाशये । पुंस्येवान्धुः प्रहिः कूप उदपानं तु पुंसि वा ॥ २६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | आहाव | आहावः | पुंलिङ्गः | आहूयन्तेऽत्र । | अकारान्तः | ||
2 | निपान | निपानम् | नपुंसकलिङ्गः | नियतं पिबन्त्यस्मिन् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
3 | अन्धु | अन्धुः | पुंलिङ्गः | अम्यते । | कुः | उणादिः | उकारान्तः |
4 | प्रहि | प्रहिः | पुंलिङ्गः | प्रह्रियते । | इ | उणादिः | इकारान्तः |
5 | कूप | कूपः | पुंलिङ्गः | कौति । | प | उणादिः | अकारान्तः |
6 | उदपान | उदपानम् | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | उदकं पिबन्त्यस्मिन् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |