सांयात्रिकः पोतवणिक् कर्णधारस्तु नाविकः । नियामकाः पोतवाहा: कूपको गुणवृक्षकः ॥ १२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | सांयात्रिक | सांयात्रिकः | पुंलिङ्गः | समुदितानां गमनं द्वीपान्तरगमनं वा संयात्रा । सा प्रयोजनमस्य । | ठञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | पोतवणिज् | पोतवणिक् | पुंलिङ्गः | पोतेनोपलक्षितो वणिक् ॥ | जकारान्तः | ||
3 | कर्णधार | कर्णधारः | पुंलिङ्गः | ’कर्णः श्रोत्रमरित्रं च' इति दुर्गः । तं धरति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
4 | नाविक | नाविकः | पुंलिङ्गः | नावा तरति । | ठन् | अकारान्तः | |
5 | नियामक | नियामकः | पुंलिङ्गः | नियच्छन्ति पोतम् । | ण्वुल् | कृत् | अकारान्तः |
6 | पोतवाह | पोतवाहः | पुंलिङ्गः | पोतं वहन्ति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
7 | कूपक | कूपकः | पुंलिङ्गः | कूपेति । | कः | कृत् | अकारान्तः |
8 | गुणवृक्षक | गुणवृक्षकः | पुंलिङ्गः | गुणानां रज्जूनां वृक्षः । | कन् | तद्धितः | अकारान्तः |