करहाटः शिफाकन्दः किञ्जल्क: केसरोऽस्त्रियाम् । संवर्तिका नवदलं वीजकोषो वराटकः ॥ ४३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | करहाट | करहाटः | पुंलिङ्गः | करं हाटयति । | अण् | कृत् | अकारान्तः |
2 | शिफाकन्द | शिफाकन्दः | पुंलिङ्गः | शिफा मूलतरप्ररोहः तत्सहितः कन्दो मूलम् ॥ | अकारान्तः | ||
3 | किंजल्क | किञ्जल्कः | पुंलिङ्गः | किंचिज्जलति । | कः | बाहुलकाद् | अकारान्तः |
4 | केसर | केसरः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | के जले सरति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
5 | संवर्तिका | संवर्तिका | स्त्रीलिङ्गः | संवर्तते । | इन् | उणादिः | आकारान्तः |
6 | नवदल | नवदलम् | नपुंसकलिङ्गः | नवं च तद्दलं च ॥ | समासः | अकारान्तः | |
7 | वीजकोष | वीजकोषः | पुंलिङ्गः | वीजस्य कोष: पात्रमाधारः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | वराटक | वराटकः | पुंलिङ्गः | व्रियते दलैः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |