स्याद्यशःपटहो ढक्का भेर्यामानकदुन्दुभी । आनक: पटहोऽस्त्री स्यात् कोणो वीणादिवादनम् ॥ ६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | यश:पटह | यश:पटहः | पुंलिङ्गः | यशोऽर्थः पटहः । | अकारान्तः | ||
2 | ढक्का | ढक्का | स्त्रीलिङ्गः | 'ढक्’ इति कायति । | कः | कृत् | आकारान्तः |
3 | भेरी | भेरी | स्त्रीलिङ्गः | वे भेर्याः भेर्यामानकदुन्दुभी । | रन् | उणादिः | ईकारान्तः |
4 | दुन्दुभि | दुन्दुभिः | पुंलिङ्गः | ‘दुन्दु' इति शब्देन भाति । | कि | बाहुलकात् | इकारान्तः |
5 | आनक | आनकः | पुंलिङ्गः | आनित्यनेन वादितेन । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
6 | पटह | पटहः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | पटेन हन्यते । | कः | कृत् | अकारान्तः |
7 | कोण | कोणः | पुंलिङ्गः | वीणादि वाद्यते येन धनुराद्याकृतिना स कोणः । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |