श्रुति: स्त्री वेद आम्नायस्त्रयी धर्मस्तु तद्विधिः । स्त्रियामृक् सामयजुषी इति वेदास्त्रयस्त्रयी ॥ ३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | श्रुति | श्रुतिः | स्त्रीलिङ्गः | श्रूयते। | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
2 | वेद | वेदः | पुंलिङ्गः | विदन्त्यनेन धर्मम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
3 | आम्नाय | आम्नायः | पुंलिङ्गः | आम्नायते अभ्यस्यते । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
4 | धर्म | धर्मः | पुंलिङ्गः | धरति लोकान्। | मन् | उणादिः | अकारान्तः |
5 | ऋच् | ऋक् | स्त्रीलिङ्गः | ऋच्यन्ते स्तूयन्ते देवा अनया । | क्विप् | कृत् | चकारान्तः |
6 | सामन् | साम | नपुंसकलिङ्गः | स्यति पापम् । | मनिन् | उणादिः | नकारान्तः |
7 | यजुष् | यजुः | नपुंसकलिङ्गः | इज्यतेऽनेन । | उस् | उणादिः | षकारान्तः |
8 | त्रयी | त्रयी | स्त्रीलिङ्गः | त्रयोऽवयवा यस्याः सा संहतिः । | तयप् | ईकारान्तः |