सुप्रलापः सुवचनमपलापस्तु निह्नवः । संदेशवाग्वाचिकं स्याद् वाग्भेदास्तु त्रिषूत्तरे ॥ १७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | सुप्रलाप | सुप्रलापः | पुंलिङ्गः | सुष्टु प्रकृष्टं लपनम् । | घञ् | कृत् | अकारान्तः |
2 | सुवचन | सुवचनम् | नपुंसकलिङ्गः | अकारान्तः | |||
3 | अपलाप | अपलापः | पुंलिङ्गः | अपलपनम् । | घञ् | कॄदन्तः | अकारान्तः |
4 | निह्नव | निह्नवः | पुंलिङ्गः | निह्नवनम् । | अप् | कॄदन्तः | अकारान्तः |
5 | संदेशवाच् | संदेशवाक् | स्त्रीलिङ्गः | संदेशोऽर्थः। तस्य वाक् ॥ | घञ् | कॄदन्तः | चकारान्तः |
6 | वाचिक | वाचिकम् | नपुंसकलिङ्गः | संदिष्टोऽर्थो ययोच्यते सा वाचिकम् । | ठक् | तद्धित | अकारान्तः |