मोक्षे धीर्ज्ञानमन्यत्र विज्ञानं शिल्पशास्त्रयोः । मुक्तिः कैवल्यनिर्वाणश्रेयोनिःश्रेयसामृतम् ॥ ६ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | ज्ञान | ज्ञानम् | नपुंसकलिङ्गः | मोक्षफलिका धीर्ज्ञानम् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
2 | विज्ञान | विज्ञानम् | नपुंसकलिङ्गः | अन्यफलिका शिल्पे शास्त्रे च या धीः सा विज्ञानम् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
3 | मुक्ति | मुक्तिः | स्त्रीलिङ्गः | मोचनम् । | क्तिन् | कृत् | इकारान्तः |
4 | कैवल्य | कैवल्यम् | नपुंसकलिङ्गः | बन्धविरहात्केवलस्य भावः । | ष्यञ् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | निर्वाण | निर्वाम् | नपुंसकलिङ्गः | निर्वान्त्यत्र । | क्तः | कृत् | अकारान्तः |
6 | श्रेयस् | श्रेयः | नपुंसकलिङ्गः | अतिशयेन प्रशस्यं श्रेयः । | ईयसुन् | तद्धितः | सकारान्तः |
7 | नि:श्रेयस | नि:श्रेयसम् | नपुंसकलिङ्गः | नितरां श्रेयः निःश्रेयसम् । | अकारान्तः | ||
8 | अमृत | अमृतम् | नपुंसकलिङ्गः | अविद्यमानं मृतं मरणमत्र । | बहुव्रीहिः | समासः | अकारान्तः |