समाकर्षी तु निर्हारी सुरभिर्घ्राणतर्पण: । इष्टगन्ध: सुगन्धिः स्यादामोदी मुखवासनः ॥ ११ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | समाकर्षिन् | समाकर्षी | पुंलिङ्गः | समाकर्षत्यवश्यं मनः | णिनिः | कृत् | नकारान्तः |
2 | निहरिन् | निहरी | पुंलिङ्गः | एवं निह | णिनिः | कृत् | नकारान्तः |
3 | सुरभि | सुरभिः | पुंलिङ्गः | सुष्टु रभन्तेऽत्र सुरभिः । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
4 | घ्राणतर्पण | घ्राणतर्पणः | पुंलिङ्गः | घ्राणं तर्पयति । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |
5 | इष्टगन्ध | इष्टगन्धः | पुंलिङ्गः | इष्टो गन्धोऽस्य । | समासः | अकारान्तः | |
6 | सुगन्धि | सुगन्धिः | पुंलिङ्गः | सुष्टु गन्धोऽस्या । | समासः | इकारान्तः | |
7 | आमोदिन् | आमोदी | पुंलिङ्गः | आमोदयति । | णिनिः | कृत् | नकारान्तः |
8 | मुखवासन | मुखवासनः | पुंलिङ्गः | मुखं वासयति । | ल्यु | कृत् | अकारान्तः |