अष्टादश निमेषास्तु काष्ठा त्रिंशत्तु ताः कला । तास्तु त्रिंशत्क्षण: ते तु मुहूर्तो द्वादशास्त्रियाम् ॥ ११ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | काष्ठा | काष्ठा | स्त्रीलिङ्गः | काशते । | कथन् | उणादिः | आकारान्तः |
2 | कला | कला | स्त्रीलिङ्गः | कलयति । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
3 | क्षण | क्षणः | पुंलिङ्गः | क्षणोति । | अच् | कृत् | अकारान्तः |
4 | मुहूर्त | मुहूर्तः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | क्त | उणादिः | अकारान्तः |