कटकोऽस्त्री नितम्बोऽद्रेः स्नुः प्रस्थ: सानुरस्त्रियाम् । उत्सः प्रस्रवणं वारिप्रवाहो निर्झरो झरः ॥ ५ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | कटक | कटकः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | कटति, कट्यते वा । | क्वुन् | उणादिः | अकारान्तः |
2 | स्नु | स्नुः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | स्नौति जलम्, स्नाति वा । | डु | कृत् | उकारान्तः |
3 | प्रस्थ | प्रस्थः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | प्रतिष्ठन्तेऽत्र । | क | कृत् | अकारान्तः |
4 | सानु | सानुः | पुंलिङ्गः, नपुंसकलिङ्गः | सनोति । | ञुण् | उणादिः | उकारान्तः |
5 | उत्स | उत्सः | पुंलिङ्गः | उनत्ति जलेन । | स | उणादिः | अकारान्तः |
6 | प्रस्रवण | प्रस्रवणम् | नपुंसकलिङ्गः | प्रस्रवन्त्यापोऽस्मात् । | ल्युट् | कृत् | अकारान्तः |
7 | वारिप्रवाह | वारिप्रवाहः | पुंलिङ्गः | वारिण: प्रवाहः । | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |
8 | निर्झर | निर्झरः | पुंलिङ्गः | अप् | कृत् | अकारान्तः | |
9 | झर | झरः | पुंलिङ्गः | अप् | कृत् | अकारान्तः |