वैतालिका बोधकराश्चाक्रिका घाण्टिकार्थकाः । स्युर्मागधास्तु मगधा: वन्दिनः स्तुतिपाठकाः ॥ ९७ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | वैतालिक | वैतालिकः | पुंलिङ्गः | विविधेन तालेन शब्देन चरन्ति । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
2 | बोधकर | बोधकरः | पुंलिङ्गः | बोधं करोति । | ट | कृत् | अकारान्तः |
3 | चाक्रिक | चाक्रिकः | पुंलिङ्गः | चक्रेण समूहेन चरन्ति । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
4 | घाण्टिक | घाण्टिकः | पुंलिङ्गः | घण्टया चरन्ति । | ठक् | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | मागध | मागधः | पुंलिङ्गः | बहवो मिलिता ये राज्ञां स्तुत्यादि पठन्ति, तेषां द्वे । | अण् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | मगध | मगधः | पुंलिङ्गः | मगन्ध्यन्ति याचन्ते । | यक् | कृत् | अकारान्तः |
7 | वन्दिन् | वन्दी | पुंलिङ्गः | वदन्ते । | णिनि | कृत् | नकारान्तः |
8 | स्तुतिपाठक | स्तुतिपाठकः | पुंलिङ्गः | स्तुतेः पाठकाः ॥ | तत्पुरुषः | समासः | अकारान्तः |