श्यालाः स्युर्भ्रातर: पत्न्या: स्वामिनो देवृदेवरौ । स्वस्त्रियो भागिनेय: स्याज्जामाता दुहितुः पतिः ॥ ३२ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | श्याल | श्यालः | पुंलिङ्गः | श्यां लाति । | कालन् | बाहुलकात् | अकारान्तः |
2 | देवृ | देवा | पुंलिङ्गः | पत्युर्भ्राता पत्न्याः । | ऋ | उणादिः | ऋकारान्तः |
3 | देवर | देवरः | पुंलिङ्गः | देवते । | अर | उणादिः | अकारान्तः |
4 | स्वस्रीय | स्वस्रीयः | पुंलिङ्गः | स्वसुरपत्यम् । | छ | तद्धितः | अकारान्तः |
5 | भागिनेय | भागिनेयः | पुंलिङ्गः | भगिन्या अपत्यम् । | ढक् | तद्धितः | अकारान्तः |
6 | जामातृ | जामातृः | पुंलिङ्गः | जायां मिमीते । | तृन् | उणादिः | ऋकारान्तः |