करतोया सदानीरा बाहुदा सैतवाहिनी । शतद्रुस्तु शुतुद्रिः स्याद्विपाशा तु विषाट् स्त्रियाम् ॥ ३३ ॥
शब्दसङ्ख्या | प्रातिपदिकम् | प्रथमान्तःशब्दः | लिङ्गम् | व्युत्पत्तिः | प्रत्ययः/ समासनाम | वृत्तिः/शब्दप्रकारः | किमन्तः शब्दः |
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1 | करतोया | करतोया | स्त्रीलिङ्गः | करस्य तोयम् । | अच् | तद्धितः | आकारान्तः |
2 | सदानीरा | सदानीरा | स्त्रीलिङ्गः | सदा नीरं यस्याः । | बहुव्रीहिः | समासः | आकारान्तः |
3 | बाहुदा | बाहुदा | स्त्रीलिङ्गः | बाहुं छिन्नं दत्तवती लिखतस्य ऋषेः । | कः | कृत् | आकारान्तः |
4 | सैतवाहिनी | सैतवाहिनी | स्त्रीलिङ्गः | सितानि वाहनानि यस्यार्जुनस्य । तस्येयम् । | बहुव्रीहिः | समासः | ईकारान्तः |
5 | शतद्रु | शतद्रुः | स्त्रीलिङ्गः | शतधा द्रवति । | उः | उणादिः | उकारान्तः |
6 | शुतुद्रि | शुतुद्रिः | स्त्रीलिङ्गः | शु पूजितं तुदति । | इन् | उणादिः | इकारान्तः |
7 | विपाशा | विपाशा | स्त्रीलिङ्गः | पाशं विमोचयति । | अच् | कृत् | आकारान्तः |
8 | विपाट् | विपाट् | स्त्रीलिङ्गः | क्विप् | कृत् | टकारान्तः |